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साजिश (अ थ्रिलर स्टोरी) एपिसोड 9









दीपक ऑफिस के लिए निकल गया।

दिन भर दीपक ऑफिस यही सोचता रहा कि कैसे वो रोशनी का सबकुछ अपने नाम करा सकता है, जबकि इस वक्त उसे अपना ठिकाना बनाना चाहिए, वो किराए में रहने का इस तरह आदि हो चुका था कि कभी ख्याल ही नही आया कि उसके पास भी एक घर होना चाहिए, और अब जिंदगी ऐसे मोड़ पर आ खड़ी हुई थी कि उसकी शादी रोशनी से होने वाली थी, रोशनी एक अमीर लड़की थी, इतनी अमीर नही की पैसो का घमंड हो, बस रहने को अपना घर था, और पापा किसी प्राइवेट कम्पनी को सुपरवाइज़ करते थे, जो अब रोशनी कर रही थी, रोशनी इस बिजनेस को डिजिटल करके नए आयाम देना चाहती थी लेकिन दीपक नही चाहता था कि वो बिजनेस डिजिटल हो जाये और पचास आदमी बेरोजगार हो जाये। क्योकि बेरोजगारी की मार वो देख चुका था। इसके मम्मी पापा गाँव मे एक छोटे से घर मे रहते थे,दीपक बस उन्हें खर्चा-पानी भेजता रहता था। और दो तीन महीने में मिलने जा आया करता था। कभी कभी जिद करता था कि उन्हें भी यहां ले आये लेकिन वो पहाड़ों की ठंडी हवा छोड़कर शहर क्यो आएं भला।

****

दो तीन दिन हो गए थे, रोशनी थोड़ा परेशान सी थी, हालांकि वो घर दीपक के नाम करने में उसे कोई प्रॉब्लम नही थी, लेकिन एक टेंशन तो रहती ही है, अगर पटवारी के खाता खतौनी में भी ये बात लिखी होगी कि इसपर रोशनी का कोई हक नही फिर उसका क्या होगा,

"मम्मी पापा ऐसा कैसे कर सकते है, कितनी मुश्किल से उन्होने ये घर जोड़ रखा था, और अपने अंतिम वक्त को करीब पाकर उन्होंने सबकुछ दांव पर लगा दिया, मैं मानती हूँ कि वो मुझसे प्यार नही करते थे, उन्हें अपने बिजनेस के लिए एक लड़का चाहिए था, लेकिन मैं हुई तो इसमे मेरी क्या गलती। मैं भी तो संभाल रही हूँ ना उनका काम।"

"वो ऐसा कभी नही कर सकते, ये जरूर किसी की साजिश है, लेकिन अब तो हम सब दीपक के नाम कर रहे, फिर तुम क्यो टेंशन ले रही हो?" मम्मी ने कहा।

"लेकिन मलाल तो रहेगा ना, आखिर ऐसे कैसे पापा किसी को भी दान…… मैंने भी तय कर लिया है, मैं जल्द ही नया घर ले लुंगी, और जब नया घर लुंगी तो उनकी ये इच्छा पूरी कर दूंगी यहां अनाथालय बनवाकर, लेकिन इतना आसान भी तो नही चंडीगढ़ में मकान लेना।" रोशनी के उदास स्वर फूट रहे थे। और आंखे नम थी।

"तू इतना सीरियस क्यो ले रही उसकी बातों को,अगर उन्हें ऐसा किया भी था जीते जी, तो आज हमारी मदद के लिए भी उन्होंने ही भेजा था ना, वो बेचारा वकील ना हमे जानता था ना हम उसे, पता नही कहाँ से आया फरिश्ते की तरह,अब तो जल्दी ही सब दीपक के नाम का कर देंगे, मामला खत्म हो जाएगा" मम्मी ने कहा।

तभी रोशनी के मोबाइल पर फोन की घंटी बजी।
फोन अनुराग का था।

"हेलो"

"हाई रोशनी, हाउ आर यू"

"फाइन, एंड यू"

"क्या हुआ रोशनी, तुम परेशान हो क्या?"

"न…नही तो….मैं क्यो….क्यों परेशान होउंगी, मैं बिल्कुल ठ…ठीक हूँ।"

"अपने दोस्त से ऐसी बाते कौन छिपाता है, प्लीज टेल मि…. मुझे तुम्हारी आवाज से लग रहा है तुम उदास हो" अनुराग ने कहा।

"अरे सच मे ऐसी कोई बात नही, बस घर मे टेंशन हो रही है थोड़ी" रोशनी ने कहा।

"वो अलग बात है कि तुम मुझे दोस्त नही मानती, लेकिन मुझे बहुत अजीब लगता है जब मेरी दोस्त मुशीबत में हो और मुझे बताने में कतराए, खैर ना बताओ, तुम्हारी मर्जी है लेकिन हो सकता है इस मुश्किल घड़ी में मैं थोड़ा भी तुम्हारे काम आ जाउँ"

"नही अनुराग! ऐसी बात नही है, तुम भी मेरे अच्छे दोस्त हो, लेकिन मैं तुम्हे बेवजह परेशान नही करना चाहती"

"परेशानी तुम्हारी उदासी के कारण बताने में नही छिपाने में होती है मुझे, और इस तरह तुम मुझे अनजाने में ही सही लेकिन बहुत परेशान कर रही हो"

"अरे ! यार बस भी करो, कितना ताना मारोगे, बस पापा के एक गलत फैसले की वजह से हम इस मुशिबत में फंसे हुए है"

रोशनी ने बात बात में सारी बात अनुराग को बताई तो अनुराग हैरान हो गया,

"लेकिन रोशनी, तुमने यकीन कैसे कर लिया किसी अनजान वकील की बेहूदी बात पर, ऐसा कोई रुल ही नही है कि आपके नाम की जमीन खुद ब खुद किसी और के नाम पर ट्रांसफ़र हो  जाए। तुमजे इतना भी नही पता कि ऐसे कॉन्ट्रेक्ट जमीन जायजाद के मामले में नही होते है जिसमे किसी लड़की के शादी के बाद उसकी जमीन सरकारी हो जाएगी, आफ्टर डेथ ये मान सकते है अगर नॉमिनी कोई ना हो तो।" अनुराग बोला

"हां लेकिन इसका उपाय भी है, उसने कहा है कि तुम अपनी जमीन बेचकर किसी और के नाम कर दो, और फिर वापस अपने नाम करवा लो तो वो डीलिंग खत्म हो जाएगी" रोशनी ने कहा।

रोशनी की बात सुनकर अनुराग ने कहा- "ये ठीक नही है, क्या पता वो जानबूझकर ये सब करवा रहा होगा, प्लीज रोशनी किसी के बहकावे में आकर कोई कदम मत उठाना,  इस बारे में एक बार दीपक से बात कर लो, सुना है तुम्हारी इंगेजमेंट होने वाली है, उसे तो कम से एकम इस बारे में बताती, वो समझदार है वो तुम्हे समझाता की ये सब गलत है, फ्रॉड है"

"ये इंगेजमेंट वाली बात…. ये तुम्हे किसने बताई" रोशनी बोली।

"तुम्हे क्या लगता है, तुम नही बताओगे तो कोई नही बताएगा, वो सब छोड़ो अभी के अभी दीपक को उस वकील के बारे में बताओ, बिना उससे पुछे कोई कदम मैंट उठाना" अनुराग ने कहा।

"वो ये सब जानता है यार। उसके सामने ही वकील से बात हुई थी, और हमने मिलकर डिसाइड  किया है कि ये जमीन  दीपक के नाम कर देते है, शादी के बाद तो हम दोनो की हो जानी है इसने, तो अभी कर लेते है , कोई रिश्क लेने से अच्छा है"  रोशनी ने कहा।

"ओह अच्छा, अब समझा, तो दीपक ने तुम्हे ये सुझाव दिया कि तुम अपनी जमीन उसके नाम कर दो, वाह! मान गए दीपक को ,क्या चाल चली है" अनुराग ने कहा।

"अरे नही, उसने नही वकील ने समझाया, वो तो बाद में भी नही मान रहा था। मैंने और मम्मी ने समझाया तब जाकर मान गया।" रोशनी ने दीपक का पक्ष लेते हुए कहा।

"उस वकील का पता, एड्रेश या कॉन्टेक्ट कुछ….नम्बर वगेरह"

"नही…. अरे हां! एक कार्ड दे गया था, लेकिन उससे क्या होगा"

"तुम उस कार्ड की फ़ोटो मुझे भेज देना, मैं एक दो दिन में पता करता हूँ कि वकील कौन था, किसका भेजा हुआ था।  और हाँ इन दो दिनों में कुछ भी किसी के नाम करने की जरूरत नही है, जब तक मैं ना कहूँ, और ये टेंशन तो बिल्कुल मत लो कि तुम्हारी जमीन शादी के बाद सरकारी कब्जे में आ जायेगी, मेरे भाई की जान पहचान ऊपर तक है, बड़े बड़े मंत्री जानते है उन्हें"अनुराग ने कहा।

रोशनी ने अनुराग की बात मान ली और कार्ड की फ़ोटो उसे व्हाट्सएप्प पर सेंड कर दी। कार्ड में एक ऑफिस का एड्रेश और मोबाइल नम्बर था।

****
अगली सुबह

"रोशनी……रोशनी" दरवाज़ा खटखटाते हुए दीपक ने आवाज दी।

रोशनी उस वक्त नहाने गयी थी तो मम्मी ने दरवाजा खोला।

"अरे दीपक, आओ ना।" मम्मी ने कहते हुए दीपक को अंदर बुला लिया।

दीपक आकर सोफे में बैठ गया और मम्मी वैशाली उसके लिए चाय बनाने चली गयी।

दीपक थोड़ी देर दाए बाएं देखकर अपना टाइम पास कर रहा था, तभी उसकी नजर बाथरूम से निकल हॉल से गुजरकर अपने कमरे की तरफ अपने गीले बालों को छटकाते हुए जाती हुई रोशनी पर पड़ी।

रोशनी ने पहले तो ध्यान ही नही दिया कि हॉल में दीपक बैठा है, लेकिन दीपक उसके चेहरे को देखकर मंत्रमुग्ध था,  भीगे हुए बालो में से कुछ बाल चेहरे में चिपके हुए बहुत अलग तरह के एहसासों को जन्म दे रहे थे।

हम्म्म्म्म, आआआ

आ ला रा रा
ये ज़मीं रुक जाये
आसमाँ झुक जाये
तेरा चेहरा जब नज़र आये
हो तेरा चेहरा जब नज़र आये

रोशनी की चलते चलते अचानक ही दीपक पर नजर पड़ी तो हैरानी से ठहरते हुए बोली- "अरे तुम! तुम कब आये"

दीपक ने उसकी बात का कोई जवाब नही दिया और धीरे से उसे हाथ से इशारा करते हुए पास आने को कहा।

रोशनी भी कम चालाक नही थी, उसने भी हाथ से रुको पांच मिनट का इशारा किया और कमरे में चली गयी।

अब दीपक शांति से बैठकर रोशनी का इंतजार करने लगा। और साथ ही मम्मी जी के चाय लेकर आने का भी,

मम्मी तीन कप चाय लेकर आई और टेबल पर रख दी।

"रोशनी आ गयी क्या नहाकर" मम्मी ने सवाल किया।

"हां कमरे में गयी है अपने"

रोज की आदत थी मम्मी रोशनी को उसके कमरे में चाय देती थी, रोशनी नहा धोकर कमरे में ऑफिस के लिए रेडी होते होते चाय पीती थी।

"रुको मैं चाय दे आती हूँ" मम्मी ने कहा।

"नही वो यही आएगी" दीपक ने कहा।

"बोलके गयी है क्या?"

दीपक जवान देता की रोशनी कमीज के बाजुओं का बटन लगाते लगाते बाहर आ गयी और आकर सोफे में बैठते हुए बोली- "तुम अचानक, कल जब मैंने पूछा तब तो मना कर रहे थे।"

"बाद में बना प्रोग्राम" दीपक ने कहा।

पता नही क्यो आज रोशनी कुछ ज्यादा ही खूबसूरत लग रही थी, शायद नहाने के बाद गीले बालों में आज पहली बार देखी थी,

वैशाली उठी और किचन की तरफ अपनी चाय लेकर चली गयी, शायद कुछ काम याद आ गया था।

"क्या काम था??" रोशनी ने दीपक

"बिना काम के नही आ सकता क्या? अगर बताकर आता तो ये हसीन नजारा कहाँ देखने को मिलता" दीपक मुस्कराते हुए बोला।

"मतलब?"

"मतलब नेचुरल ब्यूटी। तुम नहाकर आकर बिना क्रीम पाउडर लगाए भी खूबसूरत लगती हो।"

"ओ हेलो मैं कभी लगाती नही ये सब, हां! इतना जरूर है कि बाल संवार लेती, ऐसे बिखरे बाल ना होते"

" लेकिन मुझे तो ऐसे ही पसंद है ये सब, इतना कि बता नही सकता, मेरा मतलब जता नही सकता"

"शादी तक का इंतजार कर लो, फिर यही सब देखना है"

दीपक आगे कुछ नही बोला, वो रोशनी के चेहरे पर आए कुछ बालों को दूर से देख रहा था और सोच रहा था कि मैं इनको हटा दूँ, लेकिन फिर उसे टेंशन थी कि मम्मी ना आ जाये

तू इजाज़त दे अगर
तुझ से थोड़ा प्यार मैं कर लूं,
जान-ए-जाँ
बैठ मेरे सामने
खाली दिल खाली नज़र भर लूं,
जान-ए-जाँ

एक बिस्किट का पैकेट हाथ मे लिए मम्मी किचन से आई।  और दीपक के सामने  पड़ी चाय की खाली ट्रे में डाल लिए।

अब दीपक का ध्यान भंग हुआ और वो बोला- "वो मुझे इस घर के कागज के डुब्लिकेट कॉपी चाहिए, पटवारी-खाने में जमा करना है।, वो उसकी जांच करेंगे फिर बाद में हम दोनो एक साथ जाकर ये काम असली कागजाद के साथ करेंगे।"

"नही दीपक, अभी नही, मैं इस बारे में  कुछ दिन सोचूंगी, बस एक दो दिन रुक जाओ" रोशनी ने कहा।

"सोचना क्या है? बात एक ही है, हम कौन सा कोई रिश्क ले रहे है, उस वकील पर भरोसा ना सही लेकिन आपस मे तो भरोसा है ही। कौन सा किसी बाहर वाले के नाम कर रही हो" दीपक ने कहा।

"लेकिन अब किसी की बात हम इतनी आसानी से भी नही मान सकते ना" रोशनी ने कहा।

"किसी की? किसी की से क्या मतलब, औरों की छोड़ो मेरी तो मान ही सकते हो, अगर वो वकील सच बोल रहा था तो भी कोई नुकसान नही और अगर झूठ बोल रहा था तो भी कोई नुकसान नही है।" दीपक ने कहा।

"तुम्हारी बात सही लेकिन अभी मुझे थोड़ा वक्त चाहिए, वैसे भी शादी में अभी बहुत टाइम है" रोशनी ने कहा।

"ठीक है, तो अभी मैं चलता हूँ, तुम जैसे ही कुछ सोचो समझो और फैसला लो तो मुझे फोन कर देना, क्योकि अब मैं पटवारी से बात भी कर आया, जान पहचान बनाकर आया हूँ। और मैने तो उसे ये सब जल्दी करवाने के लिए थोड़ा बहुत…… समझ रही हो ना….  अगर मना कर दिया तो उस चीज का नुकसान हो जाएगा, मेरा मतलब दो तीन हजार रुपये देकर बिना  हफ्ते भर में अपना काम करने का वादा लिया था।"  दीपक ने कहा।

"तुम्हारा दिमाग तो ठीक है, एडवांस में रिश्वत कौन देता है, और वो तो सरकारी काम है, हक है हमारा, उसमे भी……" रोशनी ने कहा।

ट्रिंग ट्रिंग…. (रोशनी का फोन बजने लगा)

"हेलो….हां अनुराग, बोलो"

"रोशनी, मैंने उस फ्रॉड को पकड़ लिया है, मैं उसे लेकर तुम्हारे घर आ रहा हूँ"

"फ्रॉड….मतलब वो फ्रॉड था"

"फ्रॉड नही रिश्वत लेकर काम कर रहा था, और किससे पता है, मुझे तो यकीन नही हो रहा कोई किसी के साथ इतना बढ़ा विश्वासघात कैसे कर सकता है, हैरान हूं मैं"

"किसने, कौन है वो" 

"दीपक…… तुम उसे भी घर पर बुला लो, आज दिखाता हूँ उसके भोलेपन के पीछे छिपे हरामीपन की तस्वीर"

"वो तो यही है घर पर" रोशनी ने दीपक की तरफ देखते हुए कहा।

"ठीक है, मैं भी पहुँचने वाला हूँ" कहते हुए अनुराग ने फोन काट दिया।

कहानी जारी है


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5 Comments

Fiza Tanvi

27-Aug-2021 11:56 PM

Nice💐

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नाइस स्टोरी...

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santosh bhatt sonu

29-Jul-2021 12:33 PM

Shukriyaa

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🤫

28-Jul-2021 04:42 PM

अब कौन सा नया मोड़ लेगी ये कहानी.... अनुराग दीपक रोशनी तीन किरदारो की उलझी जिंदगियां उफ कैसी ये साजिश है....?

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santosh bhatt sonu

29-Jul-2021 12:33 PM

Thanks, and aage padhenge ye dastaan.... Jald hi

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